Thursday, 15 November 2012

प्रिय एनमर्ट ग्राहक/ एस्सोसिएट्स 

पिछले चार पाँच दिनो से एबीपी न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों द्वारा दिखाया गया कि एनमार्ट ने 1400 करोड़ का घोटाला किया है और कंपनी ग्राहकों के पैसे ले कर भाग गई। माल्स पर ताले लगा दिए। जो लोग एनमार्ट से जुड़े हुए हैं, वे जानते है कि इस बात में कितनी सच्चाई है। मॉल चलाना कोई अपराध नहीं है। हाल ही में भारत सरकार ने विदेशी कंपनी वालमार्ट को मॉल चलाने कि अनुमति प्रदान की है। इसलिए एनमार्ट को मॉल चलाने से कोई रोक नहीं सकता। एनमार्ट अपने मॉल का प्रमोशन नेटवर्क मार्केटिंग प्लान द्वारा करती है जिसे कोर्ट द्वारा समीक्षा के उपरान्त फिर से चलाया जाएगा।

समस्या कम्पनी के द्वारा खड़ी नहीं की गई है। समस्या आंध्रा प्रदेश में कॉरपोरेट फ़्रौड वॉच नामक एन जी ओ चला रहे ब्लैक मैलर श्याम सुंदर के द्वारा फर्जी मुकदमे के कारण और पुलिस की मिलीभगत के कारण खड़ी की गई है। श्याम सुंदर द्वारा पूर्व में भी कई कंपनियों के साथ ऐसी ही समस्या उत्पन्न की गयी थी जो कोर्ट द्वारा राहत मिलने क बाद फिर से व्यापार करने लगी। एनमार्ट ने भी न्यायालय की शरण ली है जहां कंपनी द्वारा मुंबई एवं आंध्रा प्रदेश की हाई कोर्ट में रिट दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। हाल ही में आंध्रा प्रदेश की स्थानीय लोअर कोर्ट द्वारा पाँच में से तीन केस में जमानत प्राप्त की गयी है। शेष दो केस में 16 नवम्बर 2012 की सुनवाई में जमानत प्राप्त हो जाएगी।

पिछले दो माह से कंपनी की सारी खरीददारी सप्लायर्स द्वारा बैंक अकाउंट फ्रीज़ होने के कारण नहीं हो सकी । जिसके कारण मॉल्स का सारा सामान ख़तम होगया। इसलिए सभी मॉल्स पर ताले लगे हैं, ना की भागने के कारण ।

1400 करोड़ रूपये वे हैं जो लोगों के द्वारा साढ़े पाँच पांच हजार जमा किये गए थें। सामान की खरीदी पुलिस की कार्यवाही के बाद बंद हुई। जब कंपनी का बैंक अकाउंट फ्रीज़ होगा और सप्लायर्स को पेमेंट नहीं मिलेगा तो मॉल्स पर सामान कहाँ से आयेगा?

पुलिस की कार्यवाही के पहले किसी भी सदस्य को 220 रुपया का वाउचर से सामान देने से मना नहीं किया गया था। इसलिए कंपनी में लोगों का जो भी पैसा जमा किया गया था, वह पैसा अभी भी कंपनी के पास ही जमा है। जैसे ही बैंक अकाउंट कोर्ट के आदेश से खुल जाएगा, मॉल्स में सामान फिर से भर जाएगा। लोगों को सामान फिर से मिलने लगेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी कोर्ट का मामला निपटे।

एक आरोप और लगाया गया कि भोले भाले लोगों को धोखे में रख कर पैसा लिया गया। यह भी सही नहीं है। पैसा लेते समय सभी से यह कहा गया कि 5500 रुपयों के बदले 10560 रुपयों का सामान 220 रुपया के 48 वाउचर के माध्यम से 48 माह में मिलेगा। दस हज़ार पाँच सो साठ का सामान देने से किसी को भी मना नहीं किया गया तो धोखाधड़ी करने की बात तो स्वतः समाप्त हो जाती है। रकम दुगनी करने की बात कहीं भी नहीं की गयी है बल्कि 72000 हज़ार रुपया की चार साल में खरीद करने पर ग्राहक को 11000 रुपया की लोयल्टी बोनस देने की बात की गयी थी।

20 लाख लोगों से 1400 करोड़ लेने की बात है, तो चार साल में सामान देने की बात भी हे। जब सामान देने से कंपनी द्वारा इंकार किया जायेगा, तब भारतीय दंड सहिंता की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला बनेगा। इसके पहले नहीं।

एक आरोप और लगाया गया कि कंपनी लोगों के पैसों से खेल रही है। आज दुनिया की जितनी बड़ी बड़ी कम्पनियां शेयर मार्किट के माध्यम से पैसा इकठ्ठा करती हैं, वे सब जनता के पैसों से ही तो खेलती हैं। शेयरमार्केट में लगाये पैसों की वापसी की तो कोई गारंटी ही नहीं रहती है। इसके बावजूद सरकार भी शेयरमार्केट को बढ़ावा देने में लगी रहती है।

एनमार्ट में पैसा लगाने वालों की चिंता श्याम सुंदर जैसे लोग ना करें क्योंकि उनका खुद का व्यापार नेटवर्क मार्केटिंग कोंपनियों को कानूनी पेंच में फसा कर परेशान करने से चलता है।

सभी ग्राहकों एवं सदस्यों से मेरा विनम्र निवेदन है कि अपने देश कि न्याय व्यवस्था में आस्था रख कर धर्यपूर्वक अपने हक़में न्यायालय के आदेश का इंतज़ार करें और ईश्वर से प्रार्थना करें की सत्य की विजय हो।

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Jitendra Dubey
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